श्यामलाल कॉलेज के हिन्दी विभाग की गिनती दिल्ली विश्वविद्यालय के सर्वश्रेष्ठ हिन्दी विभागों में की जाती है। कबीर साहित्य के विशेषज्ञ स्व. डॉ. बिंदु माधव मिश्र और आधुनिक हिन्दी साहित्य के विद्वान एवं इतिहासकार स्व. डॉ. हरदयाल जैसे शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति ने हिन्दी विभाग को गौरवान्वित किया है। श्रेष्ठता की यह परंपरा सतत कायम रही है। कॉलेज का हिन्दी विभाग अपने सुयोग्य शिक्षकों के बल पर ज्ञान के प्रसार की परंपरा का निर्वाह कर रहा है। वर्तमान समय में विभाग में नौ स्थायी और छः तदर्थ शिक्षक हैं। विभाग के सभी शिक्षक साहित्य के गंभीर अध्येता हैं और लगातार अपने लेखन से हिन्दी साहित्यिक जगत को समृद्ध कर रहे हैं। विभाग के विभिन्न सदस्य पत्रिकाओं के संपादन, पुस्तक लेखन, कविता लेखन आदि के क्षेत्र में सतत सक्रिय हैं। वर्तमान समय में विभाग के वरिष्ठतम सदस्य एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमंत कुकरेती दिल्ली से प्रकाशित साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका 'साहित्य अमृत' का संयुक्त संपादन कर रहे हैं। डॉ. अमिताभ कुमार राय दिल्ली से प्रकाशित 'समीक्षा' प्रत्रिका और डॉ. सत्यप्रिय पांडेय पटना से प्रकाशित 'साहित्य यात्रा' पत्रिका के सहायक संपादक हैं। डॉ. हेमंत कुकरेती की विभिन्न विषयों पर 40 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है, जो विभाग के लिए गर्व की बात है। डॉ हेमंत कुकरेती के अलावा डॉ. प्रभात शर्मा, डॉ. राजकुमार, डॉ. सत्यप्रिय पांडेय, डॉ. अमिताभ कुमार राय, डॉ रमेश कुमार बर्णवाल, डॉ हनुमत लाल मीना आदि शिक्षकों की भी पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ हेमंत कुकरेती, डॉ अमिताभ कुमार राय, डॉ राजकुमार, अवनीश मिश्र का साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में आलोचनात्मक लेखन लगातार प्रशंसित हुआ है। विभाग के सदस्यों में डॉ.. हेमंत कुकरेती, डॉ. सुजाता तेवतिया, डॉ. रमेश बर्णवाल आदि को प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
किसी विभाग की असली पहचान विद्यार्थियों की उपलब्धियों से की जाती है। श्यामलाल कॉलेज के हिन्दी विभाग के विद्यार्थियों ने विभाग का नाम रौशन किया है। आज विभाग के कई विद्यार्थी कॅरियर और अकादमिक जीवन में सफलता की नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं। विभाग के कई विद्यार्थी जहां विभिन्न महत्व के पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वहीं कई विद्यार्थी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से पीएच.डी और एम.फिल आदि पाठ्यक्रमों में हैं।
हिन्दी विभाग छात्रों के समग्र व्यक्तित्व निर्माण के लिए को महत्वपूर्ण मानता है। समय-समय पर आयोजित संगोष्ठियों और कार्यशालाओं में विद्यार्थियों को विषय के विशेषज्ञों के साथ संवाद का मौका मिलता है।
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